गुरुवार, 20 सितंबर 2012

मैं


दीये सा जलता हूँ मैं
हवाओं सा बहता हूँ मैं

नफरत सा पैदा होता हूँ
प्यार सा बढ़ता हूँ मैं

अपनों की फ़िक्र है मुझे
इसलिए इर्ष्या का पात्र हूँ मैं

गरीबों की गरीबी हूँ
अमीरों का अमीरी हूँ मैं

पूर्णमासी का चाँद हूँ
अमावस की काली रात हूँ मैं

नदियों पे चलता हूँ समुद्र पे लोटता हूँ
बिना तल वाला जहाज हूँ मैं

बेपटरी होती मेरी ज़िन्दगी
पटरियों के बीच का दरार हूँ मैं

कोई क्या कहेगा बगैर सोचे
चुपचाप खड़ा दीवार हूँ मैं .....

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